नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय : रविन्द्रनाथ ठाकुर (1867-1941) [Biography of Ravindranath Tagore In Hindi]
रविन्द्रनाथ ठाकुर अथवा रविन्द्रनाथ टैगोर( गुरुदेव) का जन्म 7 मई, 1861, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुआ था , वह एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही तथा आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है।पूरा नाम: रविन्द्रनाथ ठाकुर
अन्य नाम: रविन्द्रनाथ टैगोर, गुरुदेव
जन्म: 7 मई 1861 कलकत्ता (अब कोलकाता)
मृत्यु: 7 अगस्त 1941 कलकत्ता
पिता: देवेन्द्रनाथ ठाकुर
माता: शारदा देवी
पत्नी: मृणालिनी देवी
व्यवसाय: लेखक, कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार
भाषा: बांग्ला, अंग्रेजी
सम्मान: साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार(1913)
मुख्य रचनाएँ: राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्र-गान 'आमार सोनार बांग्ला', 'गीतांजलि', पोस्टमास्टर, मास्टर साहब, गोरा, घरे-बाइरे आदि।
विद्यालय: सेंट ज़ेवियर स्कूल, लंदन कॉलेज विश्वविद्यालय
रबीन्द्रनाथ ठाकुर से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य (Important fact about Ravindra Nath Tagore)
- टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है. रवींद्रनाथ ठाकुर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे.
- इन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल पूरी की थी.
- टैगोर को बैरिस्टर बनाने की चाहत में इनके पिता जी ने इनका नाम 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में दर्ज कराया.
- इन्होंने लगभग 2230 गीतों की रचना की थी.
- उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया. टैगोर ने अनेक प्रेमगीत भी लिखे हैं. गीतांजलि और साधना उनकी महत्वपूर्ण कृतियां हैं.
- टैगोर के गीतांजलि (1910) समेत बांग्ला काव्य संग्रहालयों से ली गई कविताओं के अंग्रेज़ी गद्यानुवाद की इस पुस्तक की डब्ल्यू.बी.यीट्स और आंद्रे जीद ने प्रशंसा की और इसके लिए टैगोर को 1913 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- वे एकमात्र कवि हैं, जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं- भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।
- उनकी प्रकाशित कृतियों में गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं।
- 1901 में टैगोर ने पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक विद्यालय की स्थापना की। जहाँ उन्होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ को मिलाने का प्रयास किया, 1921 में यह विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।
- सन 1915 में अंग्रेजो द्वारा टैगोर जी को ‘सर’ की उपाधि दी गई थी
- लेकिन अप्रैल 1919 में हुऐ जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ के बाद रविन्द्र नाथ टैगोर ने अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदान की गई ‘सर’ की उपाधि का त्याग कर दिया था
- 1919 में हुए जलियाँवाला कांड की जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने निंदा की रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने इस हत्याकाण्ड के मुखर विरोध किया और विरोध स्वरूप अपनी 'नाइटहुड' की उपाधि को वापस कर दिया था।
- रविन्द्र नाथ टैगोर ने ही गान्धीजी को सबसे पहली बार महात्मा कहकर पुकारा था.
- भारत के राष्ट्रगान के रचयिता रबीन्द्रनाथ ठाकुर जी की मृत्यु 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में हुई थी.
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